Ekta Singh

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प्रेम जाल


मम्मी-बेटा आज तो तूने बहुत देर कर दी। तेरे पापा गुस्सा हो रहे हैं। थोड़ा तो टाइम का ख्याल किया कर।
नम्रता-सॉरी मम्मी। आगे से ध्यान रखूंगी।

पापा-नम्रता थोड़ी देर यहाँ आकर भी बैठो देखो। मैं तुम्हारे पसंद की इमारती ले कर आया हूँ।

मम्मी-वाह पतिदेव अभी तो इतना गुस्सा हो रहे थे। बेटी के आते ही शांत हो गए अब उसे इमरती खिलाऐगे।मुझे बुरा बना दिया करो।

सारे मिल कर हँसने लगे।

नम्रता-सब ने खाना खा लिया?
मम्मी-बेटा हम सब लोगों ने खाना खा लिया।
पापा बड़े प्यार से नम्रता को अपने हाथों से इमरती  खिलाने लगते हैं। वह भी भावुक हो जाती है और पापा को गले से लगा लेती है।

पापा-बताओ बर्थडे कैसे सेलिब्रेट किया?
नम्रता-पापा चॉकलेट केक कांटा फिर उसके बाद साउथ इंडियन खाना खाया।

पापा-चलो ठीक है बेटा अब जाकर सो जाओ। सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है शेरी भी साथ-साथ चली जाती है।

दोनों बहनें बातें करती हुई सो जाती हैं।

लेकिन आज की रात नम्रता को  नींद नहीं आ रही
थी। वह बार-बार दीपक के बारे में ही सोच रही थी। कि कैसे उसने उसका हाथ पकड़ा? और कैसे उसने उसको कस के गले लगा लिया? और फिर गालों को
चूम लिया।
नम्रता यह बात याद कर करके बार- बार खुद ही शरमा आ रही थी। दीपक के ख्यालों में खोए -खोए  ना जाने कब उसकी नींद लग गई।

प्रतिदिन की तरह नम्रता 5:30 बजे उठ गई।
लेकिन आज की सुबह कुछ  नए ख्वाब बुन रही थी। दीपक की कैद में वह गिरफ्त जो हो चुकी थी। और मन ही मन खुद से बातें कर रही थी।

ऐसे ही दिन, हफ्ते और महीनों में बीत गए। दोनों की फोन पर ही बात हो जाती थी।

इसी बीच शेरी की तबीयत फिर खराब हो गई। बहकी बहकी बातें करने लगी। बाद में पता चला कि उसने 1 हफ्ते से अपनी दवाई ही नहीं खाई है
नम्रता के पापा अपने काम पर चले जाते थे। मम्मी को परेशान करती रहती और है।वह जानबूझकर नहीं कर रही थी। ये मानसिक रोग इतनी जल्दी ठीक नहीं होते। छोटे बच्चों की तरह हाथों से खाना खिलाना पढता।
नम्रता ने दो दिन की छुट्टी ले ली।
नम्रता के पापा वैसे तो दोनों बेटियों को बहुत प्यार करते थे।लेकिन आज तक कभी बच्चों के स्कूल और कॉलेज भी नहीं गए थे। सारा जिम्मा नम्रता की मम्मी ने ही उठाया हुआ था। या कह सकते हैं वह पुरानी सोच कि बेटियों का ध्यान तो माँ ही रखती है।

बेटे होते तो शायद उनका ध्यान पापा रखने। सुबह जाना और रात को वापस आ जाना।

मम्मी कुछ सामान मंगवाती तो वह ले आते थे।

पापा थोड़े शर्मीले स्वभाव के भी व्यक्ति थे। ज्यादा किसी से आई कांटेक्ट नहीं कर पाते थे। नम्रता को ही शेरी की जिम्मेदारी लेनी पड़ी।

उसकी एक फ्रेंड ने दिल्ली में एक मनोचिकित्सक बताया। उनका लाजपत नगर में क्लीनिक है। उसने सारी बात मम्मी पापा को बताई। और हिम्मत करके शेरी को बहुत प्यार से छोटे मना कर वहाँ जाने की तैयारी करने लगी।

अगली सुबह दोनों बहने निकल गई। दिल्ली पहुँचने में कम से कम घंटे ढाई 3 घंटे लगते हैं।

दोनों बहन लाजपत नगर पहुँच गई।रास्ते भर शेरी ने बहुत परेशान किया।
नम्रता शेरी को थोड़ी सी शॉपिंग कराती है। 
दोनों बहने स्ट्रीट फूड खाने लगती हैं जो बहुत फेमस फूड है।

नम्रता-और कुछ खाना है?

शेरी-नहीं दीदी अब मुझे कुछ नहीं खाना। आप बोल रही थी ?मूवी दिखाऊंगी। यहाँ के थिएटर बहुत ही अच्छे होते हैं।

नम्रता-हां भाई हां लेकिन तुझे एक बात माननी
पड़ेगी।

शेरी -क्या दीदी इतनी देर से आपकी ही तो बात मान रही हूँ। (चिढ़कर बोली)

नम्रता-यहां एक बहुत अच्छे डॉक्टर है उनको दिखा देते हैं बार-बार प्रॉब्लम हो रही है तुम ठीक हो जाएगी।

शेरी-मुझे नहीं जाना कहीं डॉक्टर के पास? चलो मूवी देखने चलते हैं।
नम्रता-शायरी बच्चों जैसी बातें बातें बंद करो। ये तो तुम भी महसूस कर रही हो कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। जो सब लोग तुम्हारी वजह से कितना परेशान है।
शेरी रोने लगती है
नम्रता-यह क्या पागलपन है,यहां पर रो रही हो  कितने लोग तुम्हें देख रहे हैं ?अच्छा लग रहा है क्या?
मेरा कहना मानो हम एक बार डॉक्टर को दिखा देते हैं उनसे दवाई ले लेंगे फिर हम मूवी देखने चलेंगे ठीक है।
बार-बार कहने के बाद भी शेरी डॉक्टर के पास जाने के लिए तैयार नही हुई।

क्या डॉक्टर दिखाए बिना वापस जाना होगा?शेरी की बीमारी और बढ़ जाएगी??जानने के लिए पढते रहे।


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5 Comments

RISHITA

02-Sep-2023 09:40 AM

Amazing

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madhura

01-Sep-2023 10:42 AM

Awesome

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Anjali korde

29-Aug-2023 11:02 AM

Very nice

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